Uttarkashi जनपद के भटवाड़ी ब्लॉक के कामर गांव में श्रावण मास के पावन अवसर पर बाणेश्वर महादेव का मेला पूरे धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाणेश्वर महादेव के मंदिर में एकत्रित हुए और अपनी श्रद्धा का प्रदर्शन किया। हर साल श्रावण मास में आयोजित होने वाला यह मेला स्थानीय लोगों के लिए विशेष महत्व रखता है और इसमें शामिल होने के लिए दूर-दूर से भक्तगण आते हैं।
Baneshwar Mahadev के मंदिर में शिवलिंग का अभिषेक करने की प्राचीन परंपरा है, जिसमें श्रद्धालु सच्चे मन से दूध और जल चढ़ाकर भगवान शिव की अराधना करते हैं। मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे दिल से बाणेश्वर महादेव का अभिषेक करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस मेले में जामक, लॉन्थरु, बायना, डिडसारी और मनेरी जैसे आसपास के गांवों से लोग दूध लेकर मंदिर में पहुंचते हैं और भगवान शिव को अर्पित करते हैं।
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मंदिर के पुजारी बताते हैं कि श्रावण मास में पहाड़ों पर दूध की मात्रा अधिक होती है, और इसी कारण से ग्रामीण इसे अपने ईष्ट देवता, भगवान बाणेश्वर को भेंट स्वरूप अर्पित करते हैं। इस मौके पर मंदिर में अभिषेक के लिए लाया गया दूध श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। विशेष रूप से, इस दूध का आधा हिस्सा खीर बनाने के लिए उपयोग किया जाता है, जिसे बाद में भक्तों में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।
Baneshwar महादेव के इस मेले की एक और विशेषता यह है कि इसमें आस-पास के गांवों से आई महिलाएं और पुरुष पारंपरिक रासों-तांदी नृत्य करते हैं। इस नृत्य में महिलाएं एक-दूसरे का हाथ पकड़कर गोल घेरा बनाती हैं और लोकगीतों पर नृत्य करती हैं। पुरुष भी इसी प्रकार का लोकनृत्य करते हैं। यह नृत्य न केवल उनकी सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखता है, बल्कि ग्रामीण समुदाय के लोगों को एक साथ जोड़ता है।
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Baneshwar महादेव की कथा शास्त्रों में भी वर्णित है। ऐसा माना जाता है कि बाणासुर नामक एक राजा, जो भगवान शिव का परम भक्त था, ने उत्तरकाशी के इस क्षेत्र में शिवलिंग की स्थापना की थी। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे वरदान दिया कि उसे काशी में बाणेश्वर के नाम से पूजा जाएगा। इस वजह से यह स्थान भक्तों के लिए अत्यधिक पूजनीय हो गया है।
इस मेले में एक विशेष परंपरा यह भी है कि गांव की शादीशुदा बेटियां, जो अपने ससुराल में रहती हैं, इस अवसर पर अपने मायके वापस लौटती हैं और भगवान बाणेश्वर की पूजा में शामिल होती हैं। इसके अलावा, मान्यता है कि जो निसंतान महिला सच्चे मन से बाणेश्वर महादेव का अभिषेक करती है, उसे संतान की प्राप्ति होती है। इस विश्वास के कारण इस मेले में निसंतान महिलाएं विशेष रूप से भाग लेती हैं और अपनी श्रद्धा प्रकट करती हैं।
Baneshwar महादेव का यह मेला न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह क्षेत्रीय संस्कृति और परंपराओं को जीवंत बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाता है। हर साल इस मेले में शामिल होने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है, जो इसे एक महत्वपूर्ण सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजन बना देता है।
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