Uttarakhand: वेतन भत्ते बढ़ाए जाने पर कांग्रेस के दो बड़े नेताओं में मतभेद, सियासत गरमाई

Uttarakhand: विधायकों और पूर्व विधायकों के वेतन भत्तों में बढ़ोतरी को लेकर कांग्रेस के दो पूर्व प्रदेश अध्यक्षों के बीच मतभेद उभर कर सामने आए हैं। एक ओर, कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने वेतन भत्तों में बढ़ोतरी का कड़ा विरोध करते हुए घोषणा की है कि वे इस बढ़े हुए वेतन भत्ते को नहीं लेंगे। दूसरी ओर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने वेतन भत्तों में बढ़ोतरी का समर्थन किया है, जिससे पार्टी के भीतर मतभेदों ने सियासी हलचल मचा दी है।

दरअसल, गैरसैंण में हुए विधानसभा सत्र के दौरान उत्तराखंड राज्य विधानसभा विविध संशोधन विधेयक पास किया गया, जिसके तहत विधायकों और पूर्व विधायकों के वेतन भत्तों में बढ़ोतरी की जाएगी। प्रदेश के सभी 70 विधायक और कई पूर्व विधायक इस निर्णय से खुश हैं, लेकिन गणेश गोदियाल इस पर असहमति जता रहे हैं। उन्होंने घोषणा की है कि वे इस बढ़े हुए वेतन भत्ते को नहीं स्वीकार करेंगे और इस बाबत विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी को पत्र लिखेंगे।

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Uttarakhand: गणेश गोदियाल ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो संदेश में कहा कि उत्तराखंड के कई युवा विभिन्न विभागों में केवल छह से आठ हजार रुपये की मामूली तनख्वाह पर काम कर रहे हैं और वेतन बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में हर कोने में आपदा की स्थिति बनी हुई है और आपदा राहत राशि भी नहीं दी जा रही है। ऐसे में विधायकों और पूर्व विधायकों के भत्ते बढ़ाना जनता के बीच गलत संदेश भेज रहा है।

वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रीतम सिंह सरकार के इस फैसले का समर्थन करते हुए नजर आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि विधायकों की मांग पर ही सरकार ने यह निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि जब विधायकों का वेतन या भत्ता बढ़ता है, तो सबकी नजरें उसी पर टिक जाती हैं, लेकिन विधायकों की जिम्मेदारियों को नजरअंदाज कर दिया जाता है। सिंह ने आगे कहा कि जब आईपीएस और आईएएस अधिकारियों के वेतन भत्ते बढ़ते हैं, तो कोई हलचल नहीं होती। उन्होंने यह भी कहा कि भत्ता बढ़ाने का निर्णय कई लोगों के लिए स्वीकार्य होगा, जबकि कुछ इसे स्वीकार नहीं करेंगे।

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Uttarakhand: गणेश गोदियाल के इस बयान के बाद राज्य की राजनीति में प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया है। कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा कि सदन में विधेयक तभी पारित होता है जब उसे पूर्ण समर्थन मिलता है, चाहे वह कांग्रेस के विधायक हों, बीएसपी के या निर्दलीय। उन्होंने सुझाव दिया कि अगर गणेश गोदियाल को इस मुद्दे पर कोई आपत्ति है, तो उन्हें अपनी पार्टी के भीतर बात करनी चाहिए।

इस मुद्दे पर उठे मतभेदों से राज्य की सियासत गरमाई हुई है। सरकार के इस फैसले से विधायकों के बीच जहां खुशी की लहर है, वहीं गणेश गोदियाल के इस विरोध से यह देखना दिलचस्प होगा कि अन्य विधायकों पर इसका कितना प्रभाव पड़ता है।

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मनीष कुमार एक उभरते हुए पत्रकार हैं और हिंदी States में बतौर Sub-Editor कार्यरत हैं । उनकी रुचि राजनीती और क्राइम जैसे विषयों में हैं । उन्होंने अपनी पढ़ाई IMS Noida से की है।
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