Uttarakhand में भारी बारिश और भूस्खलन के कारण बदरीनाथ हाईवे 34 घंटे तक बंद रहा, जिसके कारण 2000 श्रद्धालुओं को आठ किलोमीटर पैदल चलकर बदरीनाथ धाम तक पहुंचना पड़ा। विष्णुप्रयाग में रविवार सुबह छह बजे एक बड़ी चट्टान हाईवे पर गिर गई, जिससे रास्ता अवरुद्ध हो गया।
हनुमान चट्टी से करीब दो किलोमीटर आगे घुड़सिल में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की कटर मशीन बोल्डरों के बीच फंस गई, जिससे हाईवे को खोलने का काम और भी कठिन हो गया। बीआरओ के अधिकारियों ने बताया कि मशीन को निकालने और रास्ते को साफ करने में काफी मुश्किलें आईं, जिसके कारण हाईवे खुलने में देरी हुई।
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Uttarakhand Weather: हाईवे के बंद होने की खबर सुनकर श्रद्धालु परेशान हो गए। कई श्रद्धालु, जिनकी यात्रा पहले से निर्धारित थी, ने इंतजार करने के बजाय पैदल ही धाम तक जाने का निर्णय लिया। पैदल यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं में बुजुर्ग, बच्चे और महिलाएं भी शामिल थीं, जिन्होंने कठिन रास्तों और मौसम की परवाह किए बिना अपनी आस्था के चलते धाम तक पहुंचने का संकल्प लिया।
श्रद्धालुओं ने विष्णुप्रयाग से बदरीनाथ धाम तक आठ किलोमीटर की दूरी पैदल तय की। इस कठिन यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन उनकी आस्था और दृढ़ संकल्प ने उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।
Uttarakhand Weather: एक श्रद्धालु ने कहा, “रास्ता बंद होने के बावजूद, हमने हिम्मत नहीं हारी और पैदल यात्रा की। हमारी आस्था ने हमें धाम तक पहुंचने में मदद की। यह यात्रा कठिन थी, लेकिन हमारे विश्वास ने हमें शक्ति दी।”
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बीआरओ के अधिकारियों ने हाईवे को जल्द से जल्द खोलने के लिए अपनी पूरी कोशिश की और आखिरकार 34 घंटे बाद हाईवे को पुनः खोल दिया गया। अधिकारियों ने कहा कि हाईवे को साफ करने और सुरक्षित बनाने के लिए लगातार काम किया जा रहा है ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति का सामना न करना पड़े।
Uttarakhand Weather: स्थानीय प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे मौसम की स्थिति को देखते हुए अपनी यात्रा की योजना बनाएं और आपातकालीन स्थितियों में प्रशासन द्वारा जारी निर्देशों का पालन करें। प्रशासन ने यह भी सुनिश्चित किया है कि भविष्य में ऐसे हादसों से निपटने के लिए आवश्यक संसाधन और उपकरण हमेशा तैयार रहें।
Uttarakhand Weather: बदरीनाथ धाम की यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं को अब हाईवे के खुलने से राहत मिली है और वे सुरक्षित तरीके से अपनी यात्रा पूरी कर पा रहे हैं। प्रशासन और बीआरओ की तत्परता ने इस कठिन स्थिति को संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
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