Uttarakhand में महिला फायरकर्मी और रेस्क्यूअर का अद्वितीय योगदान, नए इतिहास का निर्माण

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Uttarakhand में महिलाओं का फायरकर्मियों और रेस्क्यूअर के रूप में शामिल होना राज्य के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। दो साल पहले पहली बार महिला फायरकर्मियों के लिए भर्ती निकाली गई थी, और इसके परिणामस्वरूप जनवरी 2024 में उत्तराखंड फायर सर्विस को 260 महिला फायरकर्मियों का पहला बैच प्राप्त हुआ। इन महिलाओं ने प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद पुरुष फायरकर्मियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया, और आज वे शहरों में अग्निकांडों से लेकर पहाड़ी इलाकों में लोगों को बचाने तक हर चुनौती का सामना कर रही हैं।

महिला फायरकर्मी: आग से जूझने वाली योद्धा

इन महिला फायरकर्मियों ने उत्तराखंड के विभिन्न शहरों और उसके आसपास सैकड़ों अग्निकांडों पर काबू पाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जब ये महिलाएं फायर हौज पाइप से आग पर पानी की बौछार करती हैं, तो दृश्य किसी योद्धा के युद्ध के मैदान में तलवार थामे खड़े होने जैसा लगता है। उनका कौशल और समर्पण सराहनीय है, और अब तक इन्होंने कई लोगों को जीवनरक्षक सेवाएं प्रदान की हैं।

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एसडीआरएफ में महिला रेस्क्यूअर: ऊंचाई वाले खतरनाक इलाकों में तैनात

Uttarakhand की राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) में भी इस साल पहली बार 25 महिलाओं को शामिल किया गया। इन्हें ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात किया गया, जैसे कि केदारनाथ और बदरीनाथ जैसे जोखिम भरे इलाकों में। इन महिला रेस्क्यूअर ने यात्रियों की यात्रा को सुरक्षित बनाने के साथ-साथ कई यात्रियों को आपदा से बाहर निकालने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

भविष्य में महिलाओं की बढ़ती भूमिका

Uttarakhand में महिला फायरकर्मियों और रेस्क्यूअर का योगदान यह साबित करता है कि महिलाएं न केवल अपराधियों से निपटने में बल्कि आपदा और अग्निकांड जैसे मुश्किल हालातों में भी अद्वितीय क्षमता रखती हैं। यह कदम राज्य में महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक नया अध्याय लिख रहा है, और भविष्य में इनकी संख्या और भूमिका और भी बढ़ने की उम्मीद है।

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मनीष कुमार एक उभरते हुए पत्रकार हैं और हिंदी States में बतौर Sub-Editor कार्यरत हैं । उनकी रुचि राजनीती और क्राइम जैसे विषयों में हैं । उन्होंने अपनी पढ़ाई IMS Noida से की है।
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