महाराष्ट्र के मशहूर राजनेता और समाजसेवी बाबा सिद्दीकी की हत्या का मामला तब और गंभीर हो गया जब उनके बेटे ज़ीशान सिद्दीकी ने भाजपा नेता मोहित काम्बोज पर आरोप लगाए। बाबा सिद्दीकी, जो मुंबई में एक बड़े नेता के तौर पर जाने जाते थे, उनकी मौत अचानक और रहस्यमय तरीके से हुई। पुलिस जांच में पता चला कि यह हत्या का मामला हो सकता है। इसके बाद ज़ीशान ने मोहित काम्बोज पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके पिता की मौत के पीछे उनका हाथ हो सकता है।
मोहित काम्बोज कौन हैं?
मोहित काम्बोज महाराष्ट्र की राजनीति और बिजनेस जगत में एक जाना-पहचाना नाम हैं। वह भाजपा के एक बड़े नेता हैं और रियल एस्टेट व इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में उनकी बड़ी पहचान है। राजनीति में उनका रुतबा काफी मजबूत है, और वह अक्सर पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ नजर आते हैं। हालांकि, बाबा सिद्दीकी हत्या केस में उनका नाम सामने आने के बाद उनकी छवि को झटका लगा है।
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ज़ीशान सिद्दीकी के आरोप
बाबा सिद्दीकी के बेटे ज़ीशान ने मीडिया के सामने आकर मोहित काम्बोज पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि उनके पिता को एक जमीन विवाद को लेकर धमकियां मिल रही थीं, और मोहित काम्बोज का इस विवाद में दखल था। ज़ीशान ने कहा, “मेरे पिता सिद्धांतों के इंसान थे और गलत के खिलाफ लड़ने से कभी पीछे नहीं हटते थे। इसी वजह से उनकी जान चली गई।”
मोहित काम्बोज का जवाब
आरोपों के बाद मोहित काम्बोज ने मीडिया के सामने अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि बाबा सिद्दीकी उनके दोस्त थे और उनकी हत्या में उनका कोई संबंध नहीं है। उन्होंने इन आरोपों को झूठा और राजनीतिक बताया। काम्बोज ने कहा, “मैं पुलिस जांच में पूरा सहयोग दूंगा और अपनी बेगुनाही साबित करूंगा।”
पुलिस जांच क्या कहती है?
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पुलिस ने अब तक मोहित काम्बोज के खिलाफ कोई सबूत नहीं ढूंढा है, लेकिन जांच जारी है। केस में कई बड़े नाम सामने आ रहे हैं, और जमीन विवाद से जुड़े वित्तीय लेन-देन की भी जांच हो रही है। भाजपा ने इस मामले में सतर्क रुख अपनाया है और कहा है कि कानून अपना काम करेगा।
निष्कर्ष
बाबा सिद्दीकी हत्या केस ने मुंबई की राजनीति और अपराध की दुनिया के बीच के गहरे संबंध को उजागर किया है। मोहित काम्बोज के लिए यह केस उनकी छवि और राजनीतिक करियर के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। अब सवाल यह है कि क्या वह इस केस से बाहर निकल पाएंगे या फिर यह मामला उनके लिए मुसीबत बन जाएगा। जांच जारी है, और सच्चाई सामने आने का इंतजार है
जनवरी। पेंशनर फोरम की केंद्रीय कार्यकारिणी की अति आवश्यक बैठक आज आर के एम जिम पांडव नगर कानपुर में कार्यवाहक अध्यक्ष श्री राजेश शुक्ला की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में यह बताया गया की रक्षा फैक्ट्री में कार्यरत कर्मचारियों का ओ टी ए का भुगतान अप्रैल 2009 से लंबित है और इन लोगों ने काफी प्रयत्न किया और यह बताया गया कि कार्यरत कर्मचारियों की यूनियन ने उनसे मिलकर समझौता किया है अतः उनका भुगतान होगा ओ ई एफ में 50% पैराशूट में 100% का भुगतान हुआ । सेवानिवृत्ति एवं पारिवारिक पेंशनर को भुगतान नहीं किया जाएगा क्योंकि इनका कोई प्रतिनिधि नहीं है और ऐसा लगता है कि सीएमडी लोग भुगतान में कुछ अपेक्षाएं रखते हैं जिन्हें सेवानिवृत कर्मी एवं पारिवारिक पेंशन भोगी पूरा नहीं कर सकते हैं इसलिए इनका भुगतान नहीं किया गया है और कहा गया कि जो चाहो कर लो तुम लोगों को भुगतान नहीं मिलेगा
बृहद चर्चा के बाद यह निर्णय लिया गया कि महामंत्री आनंद अवस्थी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जी को एवं सी एम डी को पत्र लिखकर उनसे आग्रह करेंगे कि वह सरकार की बदनामी ना करें और और ना ही उनसे कोई अपेक्षा रखें उन्हें भुगतान करना होगा अन्यथा फोरम उनके खिलाफ सभी संवैधानिक कार्रवाई करेगा और जिसके परिणाम एवं भुगतान की जिम्मेदार अधिकारी होंगे महामंत्री ने कहा कि यह लोग प्रधानमंत्री को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं जो बर्दाश्त नहीं होगा और अगर इनका भुगतान 15 दिन के अन्दर नही होता है तो फोरम सभी संभव कार्रवाई करेगा जिसके परिणाम का उत्तरदायित्व सी एम डी पर होगा सभी लोगों ने इस प्रस्ताव पर सहमत व्यक्ति की और अध्यक्ष श्री राजेश शुक्ला ने कहा कि हमें इस पर देर नहीं करना चाहिए इन्हें तुरंत न्याय दिलाना चाहिए।
बैठक में भाग लेने वालों में सत्यनारायण अपार महामंत्री, ए के निगम, सिद्धनाथ तिवारी, परमजीत सिंह सोढी, अमरजीत , नवल मिश्रा एडवोकेट , कमल वर्मा, बीपी श्रीवास्तव, आरपी वर्मा आदि प्रमुख थे।