Maharashtra Elections: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर महाराष्ट्र के नेताओं के साथ एक अहम बैठक हुई, जिसमें राहुल गांधी और अन्य केंद्रीय नेताओं ने हिस्सा लिया। इस बैठक में कांग्रेस नेतृत्व ने महाराष्ट्र में गुटबाजी और चुनावी रणनीति को लेकर सख्त निर्देश जारी किए। पार्टी आलाकमान ने हरियाणा चुनाव की हार का जिक्र करते हुए साफ संदेश दिया कि महाराष्ट्र में गुटबाजी किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
Maharashtra Elections: गुटबाजी पर सख्त निर्देश
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस नेतृत्व ने महाराष्ट्र के नेताओं को स्पष्ट निर्देश दिया है कि हरियाणा की तरह गुटबाजी को बढ़ावा न दिया जाए। कांग्रेस के आलाकमान ने चेतावनी दी कि मराठा और ओबीसी संघर्ष से उत्पन्न तनाव महाराष्ट्र पर असर डाल सकता है, इसलिए राज्य में सामुदायिक सद्भाव को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। साथ ही, महा विकास अघाड़ी की सरकार को सत्ता में लाने का हरसंभव प्रयास करने के निर्देश दिए गए हैं।
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तीन प्रमुख निर्देश
बैठक के दौरान केंद्रीय नेताओं ने महाराष्ट्र के नेताओं को मुख्य रूप से तीन निर्देश दिए:
- सीएम फेस का विवाद: मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई विवाद नहीं खड़ा किया जाए। यह निर्णय कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व करेगा, और इस मामले में गुटबाजी या गठबंधन के भीतर कोई चर्चा नहीं होनी चाहिए।
- विवादित सीटों पर चर्चा न करें: जिन सीटों पर गठबंधन में विवाद है या उद्धव ठाकरे और शरद पवार की पार्टियों के दावे हैं, उन पर अंतिम निर्णय केंद्रीय नेतृत्व करेगा। इन सीटों को लेकर गठबंधन में कोई विवाद नहीं होना चाहिए।
- घोषणापत्र पर केंद्रीय निर्णय: कांग्रेस के घोषणापत्र के बारे में कोई चर्चा राज्य स्तर पर नहीं की जानी चाहिए। यह भी केंद्रीय नेतृत्व तय करेगा। नेताओं से कहा गया है कि वे जनता के बीच सक्रिय रहें और जमीन से जुड़े मुद्दों पर फोकस करें।
घोषणापत्र में मुख्य वादे
कांग्रेस के घोषणापत्र में महिलाओं, किसानों और बेरोजगारों को मुख्य रूप से स्थान दिया जाएगा। संभावित वादों में किसानों का ₹3 लाख तक का कर्ज माफ करना, बेरोजगारों को ₹4,000 प्रति माह का भत्ता, महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा और महालक्ष्मी योजना के तहत ₹2,000 प्रतिमाह की राशि सीधे खातों में जमा करने की योजना शामिल है। दलितों और अल्पसंख्यकों के लिए भी विशेष बजट की घोषणा की जा सकती है।
जमीन से जुड़े मुद्दों पर फोकस
कांग्रेस नेतृत्व ने अपने नेताओं को चेताया है कि वे अति आत्मविश्वास का शिकार न हों और जनता के बीच अपनी सक्रियता बनाए रखें। सिर्फ सत्ता में बैठी सरकार की आलोचना पर ध्यान न दें, बल्कि जमीन से जुड़े मुद्दों को प्राथमिकता दें और कांग्रेस द्वारा किए गए कार्यों को जनता तक पहुंचाएं।