Punjab: Shivratri Celebration in Mansa कावड़ियों ने 41 Kg की कावड़ के साथ भगवान शिव पर चढ़ाया Ganga Jal

Mansa जिले के कस्बा विखी में Shivratri का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर हरिद्वार से गंगाजल लेकर आए कावड़ियों का स्वागत पूरे जोश और उत्साह के साथ किया गया। कावड़िये 41 किलो की कावड़ लेकर हरिद्वार से विखी पहुंचे और भगवान Shiva भोले पर गंगाजल चढ़ाया।

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शिवरात्रि का भव्य आयोजन

मानसा के कस्बा विखी में शिवरात्रि का त्यौहार बेहद धूमधाम से मनाया गया। शिव भक्तों ने हरिद्वार से कावड़ लाकर भगवान शिव पर जल चढ़ाने की परंपरा को निभाया। कावड़ियों का स्वागत फूलों की बरसात से किया गया और उनके गले में हार डालकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर “बम बम भोले” के नारों से माहौल गूंज उठा।

कावड़ियों की यात्रा और स्वागत

कावड़ियों ने बताया कि बारिश के कारण मौसम ठंडा हो गया था, जिससे यात्रा के दौरान उन्हें किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं हुई। रास्ते में शिव भक्तों ने उनका जोरदार स्वागत किया और उन्हें हर प्रकार की सहायता उपलब्ध कराई।

41 किलो की कावड़

एक कावड़िया हरदीप दास ने बताया कि वह 41 किलो की कावड़ लेकर हरिद्वार से विखी पहुंचे और भगवान शिव भोले पर गंगाजल चढ़ाया। उन्होंने कहा कि यह यात्रा उनके लिए आध्यात्मिक और शारीरिक दोनों ही रूपों में संतोषजनक रही।

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उत्सव का प्रभाव

शिवरात्रि के इस पर्व पर कावड़ियों की भक्ति और समर्पण ने पूरे विखी कस्बे को एकता और श्रद्धा के रंग में रंग दिया। रिपोर्टर संजीव लकी ने बताया कि इस उत्सव ने स्थानीय निवासियों के बीच भाईचारे और धार्मिकता की भावना को और मजबूत किया है।

धार्मिक उत्साह और आध्यात्मिकता

इस प्रकार के आयोजनों से समुदाय में धार्मिक उत्साह और आध्यात्मिकता का संचार होता है। शिवरात्रि के इस पावन पर्व पर कावड़ियों की भागीदारी और उनकी कठिन यात्रा ने भगवान शिव के प्रति उनकी अटूट श्रद्धा को प्रकट किया है।

Shivratri के मौके पर मानसा में कावड़ियों ने 41 किलो की कावड़ के साथ भगवान शिव पर गंगाजल चढ़ाया।

कावड़िये कहां से आए थे?

कावड़िये हरिद्वार से गंगाजल लेकर विखी पहुंचे थे।

कावड़ियों का स्वागत कैसे किया गया?
कावड़ियों का स्वागत फूलों की बरसात और गले में हार डालकर किया गया।

हरदीप दास की कावड़ कितनी भारी थी?
हरदीप दास की कावड़ 41 किलो की थी।

इस आयोजन का उद्देश्य क्या था?

इस आयोजन का उद्देश्य भगवान शिव पर गंगाजल चढ़ाने की परंपरा को निभाना और धार्मिक उत्साह को बढ़ाना था।

इस उत्सव का समुदाय पर क्या प्रभाव पड़ा?
इस उत्सव ने स्थानीय निवासियों के बीच भाईचारे और धार्मिकता की भावना को मजबूत किया है।

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