AIIMS Raebareli: इमरजेंसी में घंटों तड़पता रहा मरीज, निदेशक के बयान से मचा बवा

AIIMS Raebareli में एक गंभीर घटना सामने आई है जिसमें एक मरीज, जिसे आपातकालीन स्थिति में एंबुलेंस द्वारा लाया गया था, घंटों इमरजेंसी गेट के सामने तड़पता रहा लेकिन उसे भर्ती नहीं किया गया। मरीज के परिजनों ने जब लगातार मिन्नतें कीं और मरीज को भर्ती नहीं किया गया, तो उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक स्थानीय सदस्य निरंकार शुक्ला से मदद मांगी।

निदेशक से संपर्क की कोशिश और विवादित बयान

आरएसएस के सदस्य ने एम्स के कार्यकारी निदेशक डॉ. अरविंद राजवंशी से फोन पर संपर्क करने की कई कोशिशें कीं। कई कॉल्स और तीन वॉइस मैसेज के बाद जब निदेशक ने फोन उठाया, तो शुक्ला ने बताया कि यह एक इमरजेंसी स्थिति है और मरीज को मदद चाहिए। इस पर निदेशक का कथित बयान, “ये आरएसएस क्या होता है? मोदी जी ने कहा है कि जिनका नंबर सेव नहीं है उनका फोन नहीं उठाना चाहिए,” सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है।

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मरीज के परिजनों की परेशानी और इलाज में देरी

बेहोशी की हालत में पहुंचे इस मरीज को घंटों तक एंबुलेंस में ही इंतजार करना पड़ा। परिवार वालों का कहना है कि उन्होंने कई बार मदद की गुहार लगाई, लेकिन उन्हें नजरअंदाज किया गया। यह घटना स्थानीय लोगों में नाराजगी का कारण बन गई है और एम्स रायबरेली के प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रही है।

निदेशक की कार्यशैली पर सवाल

डॉ. अरविंद राजवंशी की कार्यशैली पर पहले भी कई बार सवाल उठ चुके हैं। स्थानीय और उच्च न्यायालय में उनकी आलोचना की जा चुकी है। उनकी कथित तानाशाही और असंवेदनशीलता को लेकर कई शिकायतें हैं, जिससे मरीजों और उनके परिवारों को परेशानी होती है।

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आरएसएस कार्यकर्ता का बयान

आरएसएस के सदस्य निरंकार शुक्ला ने बताया कि एम्स जैसे संस्थान के निदेशक द्वारा ऐसी भाषा का प्रयोग बेहद चौंकाने वाला है। उन्होंने कहा कि एम्स के निदेशक का व्यवहार और उनके कार्यों को लेकर कई शिकायतें मिल रही हैं, जिससे संस्थान की छवि प्रभावित हो रही है।AIIMS Raebareli में एक गंभीर घटना सामने आई है जिसमें एक मरीज, जिसे आपातकालीन स्थिति में एंबुलेंस द्वारा लाया गया था, घंटों इमरजेंसी गेट के सामने तड़पता रहा लेकिन उसे भर्ती नहीं किया गया। मरीज के परिजनों ने जब लगातार मिन्नतें कीं और मरीज को भर्ती नहीं किया गया, तो उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक स्थानीय सदस्य निरंकार शुक्ला से मदद मांगी।

निदेशक से संपर्क की कोशिश और विवादित बयान

आरएसएस के सदस्य ने एम्स के कार्यकारी निदेशक डॉ. अरविंद राजवंशी से फोन पर संपर्क करने की कई कोशिशें कीं। कई कॉल्स और तीन वॉइस मैसेज के बाद जब निदेशक ने फोन उठाया, तो शुक्ला ने बताया कि यह एक इमरजेंसी स्थिति है और मरीज को मदद चाहिए। इस पर निदेशक का कथित बयान, “ये आरएसएस क्या होता है? मोदी जी ने कहा है कि जिनका नंबर सेव नहीं है उनका फोन नहीं उठाना चाहिए,” सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है।

मरीज के परिजनों की परेशानी और इलाज में देरी

बेहोशी की हालत में पहुंचे इस मरीज को घंटों तक एंबुलेंस में ही इंतजार करना पड़ा। परिवार वालों का कहना है कि उन्होंने कई बार मदद की गुहार लगाई, लेकिन उन्हें नजरअंदाज किया गया। यह घटना स्थानीय लोगों में नाराजगी का कारण बन गई है और एम्स रायबरेली के प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रही है।

निदेशक की कार्यशैली पर सवाल

डॉ. अरविंद राजवंशी की कार्यशैली पर पहले भी कई बार सवाल उठ चुके हैं। स्थानीय और उच्च न्यायालय में उनकी आलोचना की जा चुकी है। उनकी कथित तानाशाही और असंवेदनशीलता को लेकर कई शिकायतें हैं, जिससे मरीजों और उनके परिवारों को परेशानी होती है।

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मनीष कुमार एक उभरते हुए पत्रकार हैं और हिंदी States में बतौर Sub-Editor कार्यरत हैं । उनकी रुचि राजनीती और क्राइम जैसे विषयों में हैं । उन्होंने अपनी पढ़ाई IMS Noida से की है।
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