Amethi में मोहर्रम के जुलूस के नारों पर बरेली के उलमाओं का कड़ा विरोध

Amethi में मोहर्रम के जुलूस के दौरान लगाए गए नारों को लेकर बरेली के उलमाओं ने तीखा विरोध जताया है। उन्होंने कहा है कि मोहर्रम के जुलूस के दौरान जो नारे लगाए गए, वे बेहद गलत हैं। उलमाओं ने युवाओं को नसीहत देते हुए ऐसे नारों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की बात कही है।

नारों पर प्रतिबंध की अपील

Amethi में मोहर्रम के जुलूस के दौरान कुछ युवाओं ने “हिंदुस्तान में रहना है तो या हुसैन कहना होगा” जैसे नारे लगाए थे। इस पर ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन बरेली ने कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा है कि ऐसे नारे समाज में आपसी बैर और वैमनस्यता को बढ़ावा देते हैं, जो कि किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है।

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इमाम हुसैन की याद में नारे

मौलाना शहाबुद्दीन बरेली ने पूरे देश के युवाओं से अपील की है कि मोहर्रम के जुलूस में लगाए जाने वाले नारे इमाम हुसैन की याद में होने चाहिए, न कि आपसी बैर फैलाने वाले। उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन का संदेश हमेशा से ही प्रेम, शांति और न्याय का रहा है, और हमें उनके संदेश को ध्यान में रखते हुए अपने कार्यों और नारों का चयन करना चाहिए।

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युवाओं को नसीहत

बरेली के उलमाओं ने युवाओं को सलाह दी है कि वे किसी भी प्रकार के भड़काऊ नारों से बचें और समाज में शांति और सद्भावना बनाए रखें। उन्होंने कहा कि मोहर्रम का महत्व इमाम हुसैन की कुर्बानी और उनके सिद्धांतों को याद करने में है, और हमें इसे सही तरीके से मनाना चाहिए।

निष्कर्ष

Amethi में मोहर्रम के जुलूस के दौरान लगाए गए विवादास्पद नारों पर बरेली के उलमाओं ने कड़ा विरोध जताया है और युवाओं से अपील की है कि वे ऐसे नारों से बचें जो समाज में वैमनस्यता और बैर को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा है कि मोहर्रम का जुलूस इमाम हुसैन की याद में और उनके संदेश को प्रसारित करने के लिए होना चाहिए।

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मनीष कुमार एक उभरते हुए पत्रकार हैं और हिंदी States में बतौर Sub-Editor कार्यरत हैं । उनकी रुचि राजनीती और क्राइम जैसे विषयों में हैं । उन्होंने अपनी पढ़ाई IMS Noida से की है।
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