UP: चंदौसी में गणेश चतुर्थी के दौरान गंगा-जमुनी तहज़ीब की मिसाल, हिंदू-मुस्लिम सौहार्द का अनोखा नज़ारा

UP: संभल जिले के चंदौसी में इस बार गणेश चतुर्थी के अवसर पर हिंदू-मुस्लिम एकता की अनोखी मिसाल देखने को मिली। इस उत्सव के दौरान हिंदू समुदाय के लोगों ने मुस्लिम फकीर अर्श उल्लाह खान बाबा की मजार पर चादरपोशी की, जबकि मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भगवान गणपति को कई कुंटल बूंदी का लड्डू अर्पित किया। यह परंपरा पिछले 28 सालों से चली आ रही है, जिसमें दोनों समुदाय एक-दूसरे की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हैं।

28 सालों से कायम है ये अनोखी परंपरा

चंदौसी में हर साल गणेश चतुर्थी से शुरू होकर 20 दिनों तक भगवान गणपति का महोत्सव मनाया जाता है। इस दौरान हिंदू समुदाय के लोग मुस्लिम फकीर अर्श उल्लाह खान की मजार पर चादर चढ़ाते हैं और आपसी भाईचारे की कामना करते हैं। इसी तरह, मुस्लिम समुदाय के लोग भगवान गणपति को लड्डू का भोग लगाते हैं और गणपति बप्पा के जयकारे लगाते हैं।

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हिंदू-मुस्लिम सौहार्द की मिसाल

गुरुवार की रात गणेश चतुर्थी के अवसर पर हिंदू समुदाय के लोगों ने बड़ी संख्या में अर्श उल्लाह खान की मजार पर पहुंचकर चादर चढ़ाई और आपसी सौहार्द की कामना की। इस दौरान मुस्लिम धर्मगुरुओं ने हिंदू समुदाय के लोगों को पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया और उनका आभार व्यक्त किया।

गंगा-जमुनी तहज़ीब का प्रतीक

संभल का यह गणेश चतुर्थी उत्सव उत्तर भारत में हिंदू-मुस्लिम सौहार्द का प्रतीक माना जाता है। यहां हर साल दोनों समुदाय के लोग मिलकर धार्मिक परंपराओं का पालन करते हैं और गंगा-जमुनी तहज़ीब की मिसाल पेश करते हैं। अर्श उल्लाह खान की मजार पर हर साल बड़ी संख्या में हिंदू और मुस्लिम लोग अपनी मन्नत पूरी होने की उम्मीद लेकर आते हैं और चादर चढ़ाते हैं।

इस तरह की परंपराएं यह दिखाती हैं कि सियासी मतभेदों के बावजूद धार्मिक सौहार्द और आपसी भाईचारे को कायम रखना संभव है। गणेश चतुर्थी का यह उत्सव धार्मिक एकता और प्रेम का संदेश देता है।

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मनीष कुमार एक उभरते हुए पत्रकार हैं और हिंदी States में बतौर Sub-Editor कार्यरत हैं । उनकी रुचि राजनीती और क्राइम जैसे विषयों में हैं । उन्होंने अपनी पढ़ाई IMS Noida से की है।
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