UP News: गोंडा से एक खबर आई है जो स्थानीय निवासियों के लिए चिंता का कारण बनी हुई है। पड़ोसी देश नेपाल और बैराजों से लगातार छोड़े जा रहे लाखों क्यूसेक पानी के कारण घाघरा नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है।
घाघरा नदी का जलस्तर
आज घाघरा नदी एल्गिन ब्रिज पर खतरे के निशान से 32 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। कल नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 55 सेंटीमीटर ऊपर था। हालांकि, देर रात बारिश न होने के कारण जलस्तर धीरे-धीरे कम हो रहा है। लेकिन आज 308747 क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद शाम तक जलस्तर फिर से बढ़ने की संभावना है।
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UP News: पानी की छोड़ाई
घाघरा नदी में आज गिरजा बैराज से 115127 क्यूसेक, शारदा बैराज से 183480 क्यूसेक और सरयू बैराज से 10140 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। इस बढ़ते जलस्तर के कारण करनैलगंज और तरबगंज तहसील क्षेत्र के लगभग 15 गांव की 13646 जनसंख्या और 10888 पशु प्रभावित हो रहे हैं।
राहत और बचाव कार्य
बाढ़ से प्रभावित लोगों के राहत और बचाव कार्य के लिए 55 नावें लगाई गई हैं। अब तक डेढ़ सौ लंच पैकेट, 757 ओआरएस पैकेट और 1204 क्लोरीन गोली वितरित की जा चुकी हैं। साथ ही, 458 रोगियों का इलाज भी किया गया है। राहत और बचाव कार्य के लिए एक एसडीआरएफ टीम और एक पीएससी फ्लड टीम भी सक्रिय है। गोंडा जिला प्रशासन ने आगामी बाढ़ से निपटने के लिए 28 बाढ़ चौकियों को भी सक्रिय कर दिया है।
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UP News: प्रभावित गांव और जनसंख्या
तरबगंज तहसील क्षेत्र के ब्योन्दा माझा, दत्ता नगर, सखीपुर, बाणी माझा, महाजन पुरवा, और कर्नलगंज तहसील क्षेत्र के नकहरा, घरूकन पुरवा सहित लगभग 15 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। यहां के लोग नाव का सहारा लेकर अपने घरों को छोड़कर ऊंचे स्थान पर जाने के लिए मजबूर हैं। लोग अपने पशुओं को भी किसी तरीके से ऊंचे स्थान पर ले जाकर सुरक्षित कर रहे हैं।
लोगों का संघर्ष
बाढ़ से प्रभावित लोग अपने सिर पर गेहूं, चावल और अन्य सामान लेकर ऊंचे स्थान पर जाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि उनके घरों में घुसे पानी से उनके अनाज को किसी भी प्रकार की दिक्कत न हो। यह स्थिति दर्शाती है कि लोग अपने संसाधनों और जानवरों को सुरक्षित रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
UP News: समाप्ति
गोंडा में घाघरा नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंचने के कारण बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीम सक्रिय रूप से राहत और बचाव कार्य कर रही है। स्थानीय निवासियों के लिए यह समय बहुत ही चुनौतीपूर्ण है और प्रशासन की तत्परता और सहायता से ही यह संकट कम हो सकता है।
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