Hathras Tragedy: FIR में नारायण साकार हरि उर्फ ‘भोले बाबा’ का नाम नहीं, 80 हजार लोगों की थी अनुमति, सत्संग में जुटे लाखों

उत्तर प्रदेश के हाथरस में सत्संग के दौरान भगदड़ में अब तक 121 लोगों की मौत हो चुकी है और दर्जनों लोग गंभीर रूप से घायल हैं। समाज में हलचल मच गई है और पोस्टमार्टम हाउस में शवों का ढेर लगा है। पुलिस ने सत्संग कार्यक्रम के मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर और अन्य आयोजकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इस FIR में भारतीय न्याय संहिता की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, हालांकि इसमें ‘भोले बाबा’ का नाम उल्लेख नहीं किया गया है, जो कि उसी कार्यक्रम के मुख्य संचालक हैं जिसमें इतनी बड़ी त्रासदी हुई।

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Hathras Tragedy

ये हादसा हाथरस जिले में मंगलवार को सिकंदराराऊ कोतवाली क्षेत्र के जीटी रोड पर स्थित फुलराई गांव के पास हुआ था। इस स्थान पर नारायण साकार विश्व हरि के नाम से प्रसिद्ध ‘भोले बाबा’ के कार्यक्रम में लाखों भक्तों की भीड़ जमा थी, जबकि केवल 80 हजार लोगों की इजाजत थी। सत्संग समाप्त होने के बाद जब भक्तों ने स्थल छोड़ने की कोशिश की, तब भगदड़ मच गई और इस भगदड़ के कारण 100 से अधिक लोगों की जान गंवा बैठी, जिनमें अधिकांश महिलाएं शामिल थीं।

FIR में ‘भोले बाबा’ नाम नहीं

एफआईआर के अनुसार, आयोजकों ने 2 जुलाई को हुए कार्यक्रम में 80 हजार लोगों के आने की बात की थी। लेकिन इसमें यूपी समेत अन्य प्रदेशों से लगभग ढाई लाख लोग आ गए, जिससे पूरी व्यवस्था में अस्त-व्यस्त हो गई। बाबा सत्संग करके निकलने लगे तो उनके भक्त उन्हें देखने के लिए बेकाबू हो गए और इसी बीच भगदड़ मच गई।

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हाथरस मामले में दर्ज की गई एफआईआर के अनुसार, सत्संग के आयोजनकर्ता में ‘भोले बाबा’ के मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर शामिल हैं, जो हाथरस में निवास करते हैं। उनके साथ बाबा के अन्य सहायक भी थे। इस बात को छुपाया गया था क्योंकि भारी भीड़ की संभावना थी। इसके कारण, कार्यक्रम स्थल के पास की जीटी रोड पर यातायात अवरुद्ध हो गया। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा इससे निपटने का प्रयास किया जा रहा था।

कैसे बिगड़े हालात?

मुख्य प्रवचनकर्ता सूरजपाल, जिन्हें ‘भोले बाबा’ के नाम से भी जाना जाता है, अपनी गाड़ी में सवार होकर कार्यक्रम स्थल से निकल रहे थे। दोपहर के करीब 2 बजे, श्रद्धालुओं ने उनकी गाड़ी के मार्ग में धूल समेटना शुरू कर दिया। लाखों श्रद्धालुओं की बेतहाशा भीड के कारण, जो कार्यक्रम स्थल से निकल रही थी, उनमें से बहुत से नीचे बैठे, झुके हुए श्रद्धालु दबने कुचलने लगे और चीखपुकार मच गई।

जीटी रोड के दूसरी ओर, लगभग तीन मीटर गहरे खेतों में भरे पानी और कीचड़ में भागती-भागती भीड को आयोजन समिति और सेवादारों ने अपने हाथों में लिए डंडों से जबरदस्ती रोक दिया, जिसके कारण भीड का दबाव और बढ़ गया। महिलाएं, बच्चे और पुरुष दबकर कुचले गए। थोड़ी देर बाद, लाशें बिछ गईं। इस बीच, भोले बाबा मौके से निकल गए, उनके सेवादारों ने किसी भी तरह की मदद नहीं की। अंतिम तक, स्थिति पर पुलिस के लोग ही नजर रखे रहे।

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