Kushinagar: जिले के पुलिसकर्मी आज भी 1994 की उस भयावह घटना को नहीं भुला पाए हैं, जिसने जिले के पुलिस महकमे पर गहरा असर डाला था। कुशीनगर के इकौना इलाके में 30 साल पहले जन्माष्टमी की रात हुई एक दर्दनाक मुठभेड़ के दौरान 7 पुलिसकर्मी और एक मल्लाह शहीद हो गए थे। इस घटना के बाद से कुशीनगर जिले के किसी भी थाने में जन्माष्टमी का त्यौहार नहीं मनाया जाता है, और इस परंपरा को इस बार भी बरकरार रखा जाएगा, भले ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी पुलिस थानों और कारागारों में जन्माष्टमी मनाने के आदेश दिए हैं।
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घटना की शुरुआत 1994 में हुई थी, जब कुशीनगर जिले के कुबेरस्थान थाने के पचरुखिया घाट पर जंगल पार्टी के डकैतों से मुठभेड़ के दौरान दो सब-इंस्पेक्टर और पांच अन्य पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। पुलिस महकमे में इस घटना ने इतनी गहरी छाप छोड़ी कि तब से लेकर आज तक कुशीनगर जिले में जन्माष्टमी का पर्व नहीं मनाया जाता।
Kushinagar: मुठभेड़ की रात, कुबेरस्थान थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष राजेंद्र यादव और इंकाउंटर स्पेशलिस्ट अनिल पाण्डेय अपने साथ 8 पुलिसकर्मियों को लेकर डकैतों का सामना करने के लिए पचरुखिया घाट पहुंचे थे। नदी पार करते समय डकैतों ने पुलिस टीम पर अंधाधुंध गोलियां बरसाईं, जिसके परिणामस्वरूप नाविक की मृत्यु हो गई और नाव पलट गई। इस हादसे में 7 पुलिसकर्मी और नाविक की डूबकर मौत हो गई, जबकि 3 पुलिसकर्मी किसी तरह बच निकले।
योगी आदित्यनाथ के आदेश के बावजूद, कुशीनगर के पुलिसकर्मी इस त्यौहार को मनाने से परहेज कर रहे हैं। उनका मानना है कि यह त्यौहार उनके लिए अभिशप्त है, और इस परंपरा को बदलने के लिए कोई तैयार नहीं है।