Mahakumbh 2025: 45 दिनों तक चलने वाला यह मेला 13 जनवरी सोमवार को पौष पूर्णिमा के अवसर पर आरंभ हुआ। यह आयोजन दुनिया की सबसे बड़ी मानवीय सभा के रूप में जाना जाता है, जिसमें 40 करोड़ से अधिक लोगों के शामिल होने की संभावना है। पहले दिन सुबह 9:30 बजे तक करीब 60 लाख श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम पर पवित्र स्नान किया।
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अमृत स्नान और प्रमुख तिथियां
पहला प्रमुख शाही स्नान, जिसे अमृत स्नान भी कहा जाता है, मकर संक्रांति के दिन मंगलवार, 14 जनवरी को होगा। इस साल महा कुम्भ मेला 26 फरवरी को समाप्त होगा। महत्वपूर्ण स्नान तिथियां इस प्रकार हैं:
14 जनवरी यानी मकर संक्रांति के दिन , 29 जनवरी को यानी मौनी अमावस्या के दिन और आखिरी 3 फरवरी यानी बसंत पंचमी के दिन है।
क्या-क्या खास है Mahakumbh 2025 में?

- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बयान:
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महा कुम्भ 2025 को एक अद्वितीय अवसर बताया, जो विश्वभर के लोगों को उत्तर प्रदेश और भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का अनुभव कराने का अवसर देगा। - नमामि गंगे का भव्य यज्ञ:
महा कुम्भ के एक दिन पहले, नमामि गंगे टीम ने संगम पर विशाल यज्ञ का आयोजन किया। इसमें 200 से अधिक गंगा सेवदूतों और हजारों लोगों ने भाग लिया। इस यज्ञ का उद्देश्य गंगा की पवित्रता और प्रवाह बनाए रखने की प्रतिज्ञा करना था। - सुरक्षा उपाय:
एनडीआरएफ की टीमें और उत्तर प्रदेश पुलिस की जल पुलिस इकाइयां संगम पर तैनात हैं ताकि शाही स्नान के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। - यातायात प्रबंधन:
यातायात पुलिस ने महा कुम्भ के दौरान भक्तों की सुविधा के लिए विस्तृत यातायात योजना तैयार की है। - क्यूआर कोड:
महा कुम्भ क्षेत्र के 25 सेक्टरों में बिजली के खंभों पर 50,000 से अधिक क्यूआर कोड लगाए जा रहे हैं, जिससे श्रद्धालु अपनी लोकेशन पहचान सकें और बिजली संबंधी शिकायतें दर्ज कर सकें। - हेलीकॉप्टर राइड:
महा कुम्भ क्षेत्र और प्रयागराज शहर का हवाई नजारा लेने के लिए हेलीकॉप्टर राइड की कीमत घटाकर ₹1,296 प्रति व्यक्ति कर दी गई है। 7-8 मिनट की यह सेवा 13 जनवरी से शुरू हो रही है। - राष्ट्रीय राजमार्ग पर अस्पताल:
एनएच-19 पर भदोही जिले के औराई, गोपीगंज और ऊंज पुलिस थानों के पास तीन अस्थायी अस्पताल बनाए गए हैं। ये सुविधाएं 14 जनवरी से पूरी तरह चालू होंगी।
Mahakumbh 2025: यह महा कुम्भ, जिसमें दुर्लभ खगोलीय संयोग भी शामिल है, हर 144 साल में एक बार होता है। ऐसे में संगम में डुबकी लगाकर श्रद्धालु अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त कर रहे हैं।