Makar Sankranti 2025 का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा और उत्तरायण यात्रा आरंभ करेगा। यह पर्व नई फसल की शुरुआत और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का प्रतीक है। सुबह 9:03 बजे से शाम 5:46 बजे तक शुभ मुहूर्त में इस पवित्र पर्व का आयोजन होगा।
Makar Sankranti का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व
मकर संक्रांति केवल एक खगोलीय घटना नहीं है, बल्कि यह जीवन के नए चक्र की शुरुआत और समृद्धि का प्रतीक है। यह पर्व सर्दियों के अंत और नई कृषि चक्र की शुरुआत को दर्शाता है। इस दिन सूर्य देवता के उत्तरायण होने को सकारात्मकता और प्रगति का संकेत माना जाता है।
भारत भर में विविध परंपराओं का उत्सव
मकर संक्रांति भारत के विभिन्न राज्यों में विविध रंगों और परंपराओं के साथ मनाई जाती है:
पश्चिम बंगाल में इसे पौष संक्रांति कहा जाता है। गंगा सागर मेले में श्रद्धालु पवित्र स्नान और पूजा करते हैं। पिठा, नारियल, और गुड़ से बने मीठे पकवानों की सुगंध माहौल को आनंदमय बनाती है।
गुजरात में उत्तरायण के नाम से यह पर्व प्रसिद्ध है। आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से भर जाता है, और परिवारों में उंधियू, चक्की और जलेबी का लुत्फ उठाया जाता है।
पंजाब में यह पर्व लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है। लोग अलाव जलाकर नृत्य करते हैं और रेवड़ी, मूंगफली, और गजक का आनंद लेते हैं।
तमिलनाडु में इसे पोंगल के रूप में चार दिनों तक मनाया जाता है। सूर्य, प्रकृति और पशुओं के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए पारंपरिक व्यंजन पोंगल तैयार किया जाता है।
असम में इसे माघ बिहू कहा जाता है। लोग भोज और अलाव के साथ उत्सव मनाते हैं। मेजी झोपड़ियों को जलाने की परंपरा प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करती है।
कर्नाटक में यह पर्व सुगी के नाम से मनाया जाता है। लोग एकता और साझा भावना का प्रतीक एल्लू-बेला (तिल, गुड़ और नारियल का मिश्रण) बांटते हैं।

मकर संक्रांति 2025: एकता और आभार का उत्सव
मकर संक्रांति भारत की सांस्कृतिक विविधता और एकता का अद्भुत उदाहरण है। यह पर्व नई शुरुआत, प्रकृति के उपहारों और जीवन के चक्र के प्रति आभार व्यक्त करने का संदेश देता है। इस साल, पतंग उड़ाने से लेकर लजीज पकवानों और पारंपरिक रस्मों तक, इस पर्व को पूरे उत्साह के साथ मनाएं और एकता का संदेश फैलाएं।
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समृद्धि और नई ऊर्जा का प्रतीक
मकर संक्रांति केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह हमें जीवन के चक्र और आभार व्यक्त करने की महत्वपूर्णता याद दिलाता है। इस साल, तिल-गुड़ की मिठास के साथ, समृद्धि और एकता का जश्न मनाएं।