Meerut के तिहरा हत्याकांड में अदालत ने दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। वादी के अधिवक्ता प्रमोद कुमार त्यागी और सरकारी वकील सर्वेश शर्मा ने हत्याकांड की वीभत्सता और क्रूरता को देखते हुए मृत्युदंड की मांग की थी।
हत्याकांड की वीभत्सता
लंच से पहले, वादी के अधिवक्ता प्रमोद कुमार त्यागी और सरकारी वकील सर्वेश शर्मा ने न्यायालय के सामने हत्याकांड की वीभत्सता को प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि किस तरह से तीनों युवकों को पाइपों से पीटा गया, गोलियां मारी गईं और छुरे से गले काटे गए। अदालत में तीनों युवकों के शवों की तस्वीरें भी पेश की गईं। अधिवक्ताओं ने इसे जघन्य अपराध की श्रेणी में रखते हुए दोषियों को मृत्युदंड की सजा देने की मांग की।
यहां हमारे व्हाट्सएप चैनल से जुड़ें
गवाह के बयान और बचाव पक्ष की दलीलें
अधिवक्ता स्पर्श रस्तोगी ने एक गवाह के बयान का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया था कि आरोपी तीनों युवकों की पिटाई करते हुए कह रहे थे कि “इन सभी को हलाल कर दो।” गवाह ने यह भी बताया कि युवकों को जानवरों की तरह मारा गया था।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि मुलजिमों का पहले कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और शवों के टुकड़े नहीं किए गए। इसे उन्होंने केवल मीडिया ट्रायल करार दिया। शीबा सिरोही के अधिवक्ता ने पक्ष रखा कि शीबा हत्या के समय मौके पर मौजूद नहीं थी।
यहां हमारे ट्विटर से जुड़ें
अदालत का फैसला
लंच के बाद अपर जिला जज स्पेशल कोर्ट एंटी करप्शन-दो पवन कुमार शुक्ला की अदालत ने दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। अदालत ने मृत्युदंड की मांग को खारिज कर दिया।
कचहरी में भीड़
फैसला आने से पहले सुबह 11 बजे से ही कचहरी में लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी। पीड़ित परिजन, गवाह और मुकदमे से जुड़े लोग बड़ी संख्या में मौजूद थे।
मेरठ के तिहरा हत्याकांड में अदालत ने दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है, जिससे पीड़ित परिवारों को कुछ हद तक न्याय मिला है। मृत्युदंड की मांग खारिज करने के बावजूद, अदालत ने इस जघन्य अपराध की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए दोषियों को सख्त सजा दी है।
और पढ़ें