Rae Bareli: राहुल गांधी ने कहा रायबरेली और वायनाड को मिले दो सांसद, प्रियंका की उम्मीदवारी से साउथ में कांग्रेस की नई रणनीतिकांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में एक बयान में कहा कि रायबरेली और वायनाड को दो-दो सांसद मिल गए हैं, जिसका अर्थ है कि गांधी परिवार अब पूरे देश की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाएगा। राहुल गांधी नॉर्थ को और प्रियंका गांधी साउथ को प्रतिनिधित्व करते हुए दिखेंगी। प्रियंका को वायनाड से चुनाव लड़ाने का मकसद साफ है – गांधी परिवार साउथ में अपने कनेक्शन को बनाए रखना चाहता है, जिसने हर संकट के समय में उनका साथ दिया है।
राहुल गांधी के इस बयान के पीछे कांग्रेस की रणनीति का स्पष्ट संकेत मिलता है। 1977 के चुनाव में इमरजेंसी के बाद इंदिरा गांधी रायबरेली से हार गईं थीं, लेकिन 1978 में कर्नाटक के चिकमंगलूर सीट पर हुए उपचुनाव में जीत कर आईं। 1980 के लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी ने रायबरेली और आंध्र प्रदेश के मेंढक दोनों जगहों से चुनाव लड़ा और जीतीं, लेकिन साउथ के लोगों का भरोसा जीतने के लिए उन्होंने रायबरेली सीट छोड़ दी और मेंढक से सांसद बनी रहीं।
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सोनिया गांधी ने भी 1999 में कर्नाटक के बेल्लारी और अमेठी दोनों जगहों से चुनाव लड़ा और दोनों जगहों से जीत हासिल की। इससे स्पष्ट है कि गांधी परिवार को साउथ ने हर संकट में समर्थन दिया है। इस बार भी साउथ में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहा, जहां कुल 130 में से 42 सीटें कांग्रेस को मिलीं।
प्रियंका गांधी को साउथ से चुनाव लड़ाने के पीछे कांग्रेस की रणनीति स्पष्ट है। केरल में कांग्रेस ने लगातार दूसरी बार 20 में से 15-14 सीटें जीतने में सफलता पाई है। कांग्रेस चाहती है कि केरल कांग्रेस का गढ़ बना रहे और प्रियंका की मौजूदगी से तमिलनाडु, तेलंगाना और कर्नाटक में कांग्रेस कार्यकर्ताओं का हौसला भी बुलंद रहे।
अगर आने वाले केरल विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत होती है और आंध्र प्रदेश में, जो कभी कांग्रेस का गढ़ माना जाता था, कांग्रेस अपना खोया जनाधार वापस पाने में सफल होती है, तो प्रियंका गांधी को एक गेम चेंजर के रूप में देखा जाएगा। प्रियंका गांधी की उम्मीदवारी और साउथ में कांग्रेस की रणनीति से पार्टी को नई ऊर्जा और दिशा मिल सकती है।