Sambhal में चंद्रेश्वर महादेव मंदिर और जामा मस्जिद की उत्पत्ति को लेकर नया विवाद गहराता जा रहा है। नई खोजों के मुताबिक, जामा मस्जिद कभी “हरिहर मंदिर” थी। यह दावा मंदिर और मस्जिद की वास्तुकला और ऐतिहासिक समानताओं पर आधारित है।
यहां हमारे व्हाट्सएप चैनल से जुड़ें
चंद्रेश्वर महादेव मंदिर: प्राचीन इतिहास की गवाही
चंद्रायन गांव, Sambhal से 10 किमी दूर स्थित यह मंदिर 5वीं शताब्दी में पृथ्वीराज चौहान के शासनकाल में बनाया गया माना जाता है। मंदिर की वास्तुकला और नक्काशी कई मामलों में जामा मस्जिद से मिलती-जुलती हैं।
प्रमुख समानताएं:
- गुंबद की संरचना: मंदिर का गुंबद जामा मस्जिद के गुंबद से मिलता-जुलता है।
- श्रृंखलाएं: मंदिर में घंटियां टांगने के लिए उपयोग की गई श्रृंखलाएं मस्जिद के झूमरों की श्रृंखलाओं जैसी हैं।
- वास्तुशिल्प: मंदिर की बारीक नक्काशी और डिजाइन मस्जिद के ढांचे से मेल खाती है।
रहस्यमयी भूमिगत सुरंग
मंदिर और मस्जिद को जोड़ने वाली एक प्राचीन भूमिगत सुरंग का पता चला है, जिसे स्थानीय लोग मंदिर की ऐतिहासिक प्रासंगिकता और इसे मस्जिद में बदलने के सबूत के रूप में देख रहे हैं।
एएसआई और प्रशासन की जांच
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और स्थानीय प्रशासन ने मंदिर का निरीक्षण किया है। उनकी रिपोर्ट जामा मस्जिद में मिले हिंदू वास्तुकला तत्वों, जैसे कमल की आकृतियां और स्तंभों, के समान है।
जनता और धार्मिक नेताओं की प्रतिक्रिया
- स्थानीय निवासी: अधिकतर लोग इसे हरिहर मंदिर के रूपांतरण की गवाही मानते हैं।
- धार्मिक नेता: हिंदू नेताओं ने मस्जिद की उत्पत्ति को मान्यता देने की मांग तेज कर दी है, जबकि मुस्लिम नेता इसे सिरे से खारिज कर रहे हैं।
राजनीति और सामाजिक असर
यह विवाद चुनावी माहौल में राजनीतिक और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को तेज कर सकता है। राजनीतिक दल इन मुद्दों का फायदा उठाकर अपनी रणनीति तय कर सकते हैं, जिससे जनता के विचार और मतदान प्रभावित हो सकते हैं।