UP Police Recruitment: पेपर लीक से पुलिस भर्ती बोर्ड को 150 करोड़ रुपये का झटका, दोबारा परीक्षा कराना पड़ा महंगा

UP पुलिस में सिपाही के 60,244 पदों पर सीधी भर्ती के लिए आयोजित की गई लिखित परीक्षा में पेपर लीक होने के बाद, उप्र पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड को करीब 150 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ है। यह नुकसान फरवरी 2024 में आयोजित हुई परीक्षा के पेपर लीक होने के कारण हुआ, जिसके चलते परीक्षा को दोबारा आयोजित करना पड़ा।

UP Police: पेपर लीक की वजह से बढ़े खर्च

परीक्षा का आयोजन गुजरात की कंपनी एजूटेस्ट लिमिटेड के माध्यम से किया गया था, लेकिन पेपर लीक गिरोह ने ट्रांसपोर्ट कंपनी के अहमदाबाद स्थित वेयरहाउस से परीक्षा के दोनों दिन की दूसरी पाली का पेपर चोरी कर लिया था। इस वजह से राज्य सरकार को परीक्षा स्थगित करनी पड़ी। इसके बाद, एजूटेस्ट को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया और उसका करीब 15 करोड़ रुपये का भुगतान रोक लिया गया।

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दोबारा परीक्षा आयोजित करने में सुरक्षा बढ़ाने और अधिक विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए इस बार चार अलग-अलग एजेंसियों की सेवाएं ली जा रही हैं, जिससे खर्च और भी बढ़ गया है। इसके अलावा, बोर्ड ने परीक्षा से संबंधित प्रत्येक कार्य के लिए अलग वेंडर चयनित किए हैं, जिससे भी खर्चों में वृद्धि हुई है।

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UP Police: नए वेंडरों के तहत व्यवस्था

भर्ती बोर्ड ने परीक्षा से संबंधित हर कार्य के लिए अलग-अलग वेंडरों की सेवाएं ली हैं। उदाहरण के तौर पर, एक एजेंसी प्रश्न पत्र तैयार करने, छपवाने और जिलों के कोषागार तक पहुंचाने का कार्य करती है, जबकि दूसरी एजेंसी परीक्षा संपन्न कराने और ओएमआर शीट को बोर्ड तक पहुंचाने का कार्य करती है। इसके अलावा, परीक्षा केंद्रों पर सुरक्षा का कार्य, जैसे फ्रिस्किंग, बायोमेट्रिक कैप्चर और सीसीटीवी कंट्रोल रूम की स्थापना के लिए भी एक अलग एजेंसी नियुक्त की गई है।

UP Police: बढ़ते खर्च की वजह से बजट पर प्रभाव

प्रति अभ्यर्थी परीक्षा कराने में 300 से 400 रुपये का खर्च आता है, जिसमें प्रश्न पत्रों की छपाई, परिवहन, परीक्षा केंद्रों को भुगतान, शिक्षकों का मानदेय, सुरक्षा व्यवस्था और बायोमेट्रिक सत्यापन जैसे खर्च शामिल होते हैं। पिछले प्रयास की तुलना में इस बार सुरक्षा और आयोजन के खर्चों में वृद्धि देखी जा रही है। भर्ती बोर्ड को मजबूरन गृह विभाग से इस अतिरिक्त खर्च के लिए बजट में प्रावधान करना पड़ा है।

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आवेदन शुल्क और वित्तीय प्रबंधन

UP Police: भर्ती बोर्ड ने 1.58 करोड़ अभ्यर्थियों से आवेदन शुल्क के रूप में 587 करोड़ रुपये जुटाए थे, जिनमें से हालिया सिपाही भर्ती परीक्षा के पुनः आयोजन के लिए बजट का प्रावधान किया गया है। सिपाही भर्ती के लिए प्रति अभ्यर्थी से 400 रुपये आवेदन शुल्क लिया गया था, जिससे 192 करोड़ रुपये जमा हुए थे।

इस पूरे मामले ने प्रशासनिक और वित्तीय प्रबंधन पर सवाल खड़े कर दिए हैं और भविष्य में परीक्षा आयोजन के लिए और भी कड़े सुरक्षा इंतजाम की मांग की जा रही है।

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मनीष कुमार एक उभरते हुए पत्रकार हैं और हिंदी States में बतौर Sub-Editor कार्यरत हैं । उनकी रुचि राजनीती और क्राइम जैसे विषयों में हैं । उन्होंने अपनी पढ़ाई IMS Noida से की है।
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