UP में फर्जी फर्मों के खिलाफ एक व्यापक जांच अभियान की शुरुआत होने जा रही है, जिसमें 3000 करोड़ रुपये से अधिक की टैक्स चोरी के मामलों का पर्दाफाश किया जाएगा। इस अभियान का उद्देश्य टैक्स चोरी में लिप्त फर्जी फर्मों और व्यापारियों को चिन्हित करना और उन्हें गिरफ्तार करना है। 16 अगस्त से शुरू होने वाले इस विशेष अभियान के लिए सेंट्रल जीएसटी और राज्य कर विभाग की टीमें पूरी तरह से तैयार हैं।
राज्य में फर्जी फर्मों ने सरकारी राजस्व को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया है, और अब यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अकेले उत्तर प्रदेश में 3000 करोड़ रुपये से अधिक की टैक्स चोरी हो चुकी है। यह एक संगठित सिंडीकेट के माध्यम से किया जा रहा है, जो राज्य कर विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है।
यहां हमारे व्हाट्सएप चैनल से जुड़ें
इस समस्या के समाधान के लिए केंद्र और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने मिलकर एक राष्ट्रीय समन्वय समिति का गठन किया है, जिसने 16 अगस्त से एक विशेष जांच अभियान शुरू करने का निर्णय लिया है।
इस अभियान के तहत, सेंट्रल जीएसटी और राज्य कर विभाग के अधिकारी संदिग्ध जीएसटीआईएन (जीएसटी पहचान संख्या) का सत्यापन करेंगे। अगर किसी पंजीकरण को फर्जी पाया जाता है या यह पुष्टि होती है कि यह मौजूद ही नहीं है, तो संबंधित कर अधिकारियों द्वारा उस पंजीकरण को निलंबित कर दिया जाएगा और इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) को रोकने की कार्रवाई की जाएगी।
इस जांच में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग जैसे हाईटेक टूल्स का उपयोग किया जा रहा है, जिससे जांच को और अधिक प्रभावी और सटीक बनाया जा सके। विशेष जांच टीम (एसआईटी) द्वारा डाटा एनालिसिस का भी उपयोग किया जा रहा है, ताकि फर्जीवाड़े की पुष्टि होते ही तत्काल कार्रवाई की जा सके। पिछले वर्ष के अभियान में 121 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन इस बार यह संख्या बढ़ने की संभावना है, क्योंकि विभाग ने तकनीकी रूप से काफी सुधार किया है और अब अधिकारियों के पास उन्नत उपकरण उपलब्ध हैं।
यहां हमारे ट्विटर से जुड़ें
इस अभियान के माध्यम से राज्य कर विभाग को 1.56 लाख करोड़ रुपये के टैक्स कलेक्शन के लक्ष्य को प्राप्त करने की उम्मीद है। पिछले साल, दो महीने तक चले एक जांच अभियान के दौरान, करीब 24 हजार करोड़ रुपये से अधिक की संदिग्ध जीएसटी चोरी से जुड़े 29,273 फर्जी पंजीकरणों का खुलासा हुआ था। इस खुलासे से सरकार को पांच हजार करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होने से बचाया जा सका था। इस बार का अभियान और भी व्यापक और सख्त होगा, जिससे टैक्स चोरी करने वाले किसी भी जालसाज को बख्शा नहीं जाएगा।
इस अभियान की सफलता से उत्तर प्रदेश में व्यापार के क्षेत्र में पारदर्शिता और ईमानदारी को बढ़ावा मिलेगा, जो राज्य के आर्थिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा।