Uttar Pradesh: फिल्म ‘कागज’ में पंकज त्रिपाठी का वह किरदार याद होगा, जिसे कागजों में मरा घोषित कर दिया गया था, और वह खुद को जिंदा साबित करने के लिए संघर्ष करता है। ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के कुशीनगर से सामने आया है, जहां 69 वर्षीय बुजुर्ग जगदीश को सरकारी कागजों में मुर्दा घोषित कर दिया गया है।
खड्डा विकासखंड के ग्राम सभा सोहरौना के निवासी जगदीश का पेंशन इसलिए बंद कर दिया गया, क्योंकि गांव के सचिव धर्मेंद्र यादव ने उन्हें कागजों में मृत दिखा दिया।
अब जगदीश, अपने जिंदा होने का सबूत लिए अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर काटते थक चुके हैं। वह हर दिन अधिकारियों से गुहार लगाते हैं, “मैं जिंदा हूं साहब, मेरा पेंशन क्यों काट दिया?”
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इस गलती का पता चलने पर खंड विकास अधिकारी विनीत यादव ने जांच के आदेश दिए और टीम को गांव भेजा। जांच अधिकारी, सचिव से सवाल पूछते वक्त कैमरे से नजरें चुराते दिखे, लेकिन जवाब किसी के पास नहीं था।
अब सवाल यह है कि सरकारी कागजों में मरा घोषित किए गए जगदीश को जिंदा साबित करने में कितना समय लगेगा? सरकारी सिस्टम की इस लापरवाही ने बुजुर्ग की जिंदगी को मुश्किलों से भर दिया है।